सोमवार, 5 दिसंबर 2016

दुबई मॉल

दुबई मॉल -
दुबई प्रवास में जिसने बुर्ज खलीफ़ा और दुबई मॉल नहीं देखा तो उसे आप ऐसे महान व्यक्ति के समकक्ष रख सकते हैं जिसने कि आगरा में रहते हुए ताज महल न देखा हो. खैर हम उन खुशकिस्मत लोगों में से हैं जिन्होंने आगरा में ताजमहल का दीदार भी किया है और दुबई में बुर्ज खलीफ़ा तथा दुबई मॉल का भी.
पहली बार हम लोग वैभव (हमारा बड़ा दामाद) के साथ दिन में बुर्ज खलीफ़ा और दुबई मॉल गए.  हमने पहले बुर्ज खलीफ़ा और दुबई फाउंटेन देखा. दिन में दुबई फाउंटेन बंद रहता है, उसकी शोभा तो रात में देखते बनती है. बुर्ज खलीफ़ा की भव्यता देखकर हम दंग रह गए पर उसकी शोभा भी रात में देखने लायक होती है इसलिए उनका ज़िक्र आगे वाले संस्मरण में.  



वैभव मुझको और रमा को दुबई मॉल में छोड़कर दो-ढाई घंटों के लिए अपने काम से चला गया  
रमा तो तीन साल पहले भी दुबई मॉल की सैर कर चुकी थीं पर मेरे लिए इस तरह का यह पहला अनुभव था. कहा जाता है कि मेरी आँखें बड़ी-बड़ी हैं पर इन आँखों में भी दुबई मॉल की भव्यता किसी भी तरह समा नहीं पा रही थी. दुनिया के इस सबसे बड़े मॉल में लगभग 1200 दुकानें हैं, इसका क्षेत्रफल फुटबॉल के 50 मैदानों से भी विशाल है. इसमें एक शानदार एक्वेरियम है जिसमें कि शार्क, जेली फिश, रे और दरियाई घोड़े सहित 300 प्रकार के जलजीव हैं..दुबई मॉल में रौशनी का तो सैलाब ही सैलाब है और छत पर लटकने वाले झाड़-फ़ानूस की शानो-शौकत देख-देख कर आपकी गर्दन का दुखना तय है. दुबई मॉल में बहुत सुन्दर और भव्य वाटर फॉल हैं., एक विशाल आइस स्केटिंग रिंग है. मॉल में परंपरागत शाही अरबी ठाठ के साथ फ़ोटो खिंचाने की भी व्यवस्था है पर इसके लिए जेब कितनी ढीली करनी होगी, यह हमने मालूम नहीं किया.      





दिन में मॉल में रौनक ज़्यादा नहीं थी पर हमारे लिए दुकानों पर विंडो शौपिंग करने में इस से बड़ी सहूलियत हो रही थी. दुकानदार अच्छी तरह से समझ रहे थे कि हमारा कुछ भी खरीदने का इरादा नहीं है पर फिर भी वो हमको अच्छा-खासा महत्त्व दे रहे थे. हमारी श्रीमतीजी रमा को एक डायमंड नेकलेस बहुत पसंद आया पर 50000 दिरहम ( मात्र 9 लाख 30 हज़ार रूपये) की कीमत में से दुकानदार कमबख्त बाद के 2 ज़ीरो हटाने को तैयार ही नहीं था.. ऐसी ही बेईमानी गौगल्स वाला कर रहा था. ढाई हज़ार दिरहम में हम एक धूप का चश्मा क्यूँ लें? इस से कम कीमत में तो हम धूप से बचने के लिए पलकों का शामियाना तैयार करवा लेंगे.
हम कौरिडोर में घूम रहे थे तो एक सौन्दर्य-प्रसाधन बेचने वाली मोहतरमा ने रमा को पकड़ लिया और उनके हाथ को कोमल और सुन्दर बनाने के लिए उस पर तरह-तरह के लेप लगाना शुरू कर दिया. दस मिनट के अनथक परिश्रम के बाद उन्होंने गुलाब जल जैसे तरल पदार्थ से उनका लेपित हाथ धोया. हम जादुई परिणाम देख कर दंग रह गए पर हमने कोई भी चमत्कारी लोशन या क्रीम खरीदने का फ़ैसला नहीं किया. रमाजी एक सुन्दर नया हाथ और एक पुराना साधारण हाथ लेकर हमारे साथ घूमती रहीं.
घंटों तक घूमते-घूमते जब हम थक गए तो हमने वैभव को फ़ोन किया कि वो हमको अब ले जाए. उसने हमसे कहा कि हम फैशन पार्किंग के P-5  में पहुँच जाएं. वहीं उसकी कार खड़ी थी पर हम कई जगह पूछताछ करके भी वहां नहीं पहुंचे तो हमने उसे फ़ोन किया कि वो हमको एक्वेरियम के पास आकर ले जाय. यही तय रहा कि वो हमको एक्वेरियम के पास से ले जाएगा. हम एक्वेरियम वाले फ्लोर पर ही थे किन्तु अब हम उससे बहुत आगे चले आए थे. मैंने कॉरिडोर में एक सेंट बेचने वाली एक यूरोपियन सुंदरी से एक्वेरियम का पता पूछा तो वो बोली – ‘एक शर्त पर मैं आपको एक्वेरियम जाने का रास्ता बताउंगी.’
मैंने शर्त पूछी तो वो बोली – ‘आप अपने हाथ पर मेरा सेंट ट्राई करेंगे.’
श्रीमतीजी की घूरती आँखों की परवाह किए बगैर मैंने अपना हाथ बढ़ा दिया.
गोरी मेम का सेंट खरीदे बगैर एक्वेरियम की ओर कदम बढ़ाते हुए मैंने श्रीमतीजी से कहा – ‘वाह क्या खुशबू है !’
श्रीमतीजी ने कुढ़कर पूछा – ‘किसकी? सेंट की या उस गोरी मेम की?’
तभी श्रीमतीजी के एक आग्रह ने मुझे हैरान कर दिया. उन्होंने मुझसे कहा – आप लड़कियों से जब भी बात किया करें तो अपनी कैप उतार लिया करें.’
मैंने पूछा – उनके प्रति अपना आदर व्यक्त करने के लिए?’

श्रीमतीजी ने जवाब दिया – ‘नहीं, सर से कैप हटाते ही आपकी असली उम्र का उनको एहसास हो जाएगा.’      

7 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया। सोने में सुहागा होता अगर चित्र भी पोस्ट करते यहाँ जो फेसबुक में किये हैं ।

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  2. प्रशंसा के लिए धन्यवाद सुशील बाबू.गीतिका से कहूँगा वह चित्रों को भी पोस्ट कर देगी.

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  3. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार 06 दिसम्बर 2016 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. '5 लिंकों का आनंद' के 6 दिसंबर, 2016 क अंक में मेरा आलेख सम्मिलित करने के लिए धन्यवाद दिग्विजय अग्रवालजी. हम तो इसके नियमित पाठक हैं, हम तो इसे पढ़ने-बांचने आएँगे ही.

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    2. सुशील बाबू, आपके सुझाव पर अमल कर दिया गया है. गीतिका ने फोटो पोस्ट कर दिए हैं.

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  4. पाँच लिंको के आनन्द पर भी अपनी उपस्थिति दर्ज कर के आइये एक टिप्पणी आभार की देकर :)

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