शुक्रवार, 22 दिसंबर 2017

नामकरण

नामकरण -
आज ग्रेटर नॉएडा में एक प्राइवेट बस में बैठा. टिकट के लिए बस कंडक्टर को मैंने दस रुपये की रेजगारी दे दी. बस कंडक्टर मुझसे बड़े रौब से बोला -
'ताऊ ! रेजगारी नहीं, दस का नोट दो.'
मैंने पूछा - 'क्यों भतीजे, रेजगारी का चलन क्या सरकार ने बंद कर दिया है?'
भतीजा बोला - 'सरकार की मैं ना जानता. मैंने तो जी अपनी बस में रेजगारी लेना बंद कर दिया है.'
मैंने प्यार से पूछा - 'ये बता, तेरा नाम क्या है?'
उसने जवाब दिया - 'सुरिंदर भाटी.'
मैंने कहा - ' सुरिंदर ! तू अपना नाम बदलकर छोटा मोदी रख ले.'
सुरिंदर भाटी ने हैरानी से पूछा - 'वो क्यों ताऊ?'
मैंने उसे समझाया - ' मोदी जी ने देश में नोटबंदी की थी और तूने अपनी बस में सिक्काबंदी की है. इसलिए वो बड़े मोदी और तू छोटा मोदी.'

2 टिप्‍पणियां:

  1. गनीमत है अपने सिक्के नहीं चला दिये कण्डकर साहिब ने :)

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    1. ग्रेटर नॉएडा के नौजवानों की अकड़ और ठस-बुद्धि का कोई जवाब नहीं है. ज़मीन का मुआवज़ा पाकर करोड़ पति बनने वाले किसानों के नौनिहाल रॉंग साइड में सत्तर-अस्सी किलोमीटर की स्पीड से गाड़ी चलाते हैं और आप कहीं उनकी गलती से उनसे टकरा जाएं या टकराते-टकराते बच जाएं तो वो दहाड़ कर पूछते हैं - 'अँधा होग्या के?'

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